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रक्षाबंधन sepcial कविता बहनो के लिए

थोड़ी शरारती प्यारी सी बहने, थोड़ी झगड़ति  फिर रूठती मनाती  प्यारी सी बहने, बचपने में भी माँ जितने स्नेह  का दर्पण बन जाती, भाई की हर बड़ी गलती छुपाती प्यारी सी बहने। अपनी तकलीफो की परवाह न करना, मातापिता हर कहे पर अमल करना , बचपन मे ही समझदार हो जाती प्यारी सी बहने।  अपनी पायल की छम छम से पूरा घर सर पे उठती, धन्य है वो घर जहाँ बेटीया होती हैं माँ, बहन पत्नी और अनेको रंग के मोती पिरोती हैं मोती पिरोती है, अपने हिस्से की हर खुशी अपने भाई के लिए संजोती है बहने ऐसी होती है जिंदगी भर जिस मकान को अपनी हलचल, दुलार प्रेम से घर बनाती है फिर एक दिन भाई के कंधों पर डोली में विदा हो जाती है बहने अपने है घर मे मेहमान सी होती है बहने ऐसी होती है। बहने ऐसी होती है।बहने ऐसी होती है।। हैप्पी रक्षा बंधन| लेखक अभिषेक सिंह ठाकुर 9302761661