एक अनुभव विपासना मैडिटेशन का-एक अनुभव

एक अनुभव विपासना मैडिटेशन का-एक अनुभव

यह कहानी मेरी खुद के अनुभव पर आधारित है यह बात उस समय की है जब मैं मुम्बई में स्ट्रगल कर रहा था पिता जी से मात्र कुछ रुपये ले कर निकला था। मुम्बई के एक दोस्त ने मेरी बहुत मदद की।

कुश टाइम भटकने के बाद मुझे मुबई में नौकरी भी मिली ,  मेरा कुश टाइम अपने रूम मैट्स की साथ बीता मेरा एक दोस्त रोज़ सुबह सुबह खिड़की के पास शयन मुद्रा में बैठा मिलत था वो कुश ही समय पहले  विदेश से लौट था मुझे इस बात पर उससे सवाल किया कि तुम यह किया कर रहे हो और तुम इन सब चीज़ों पर विश्वास करते हो, यह बात 2008 -09 की है ना उस समय इतना योग, प्राणायाम न ही प्रो टाइप की चीज़ों का समय था।

उस समय मुझे उसने बताया इगत पुरि के थे ग्रेट पैगोडा के विपासना केंद्र के बारे में.

कुश पारिवारिक समस्याओं के चलते मुझे वापस मुबई से घर आना पड़ा व बहुत से समस्याओ के चलते व अछि जॉब न मिल पाने से मैं बहुत अशांत रहने लगा था व मेरे पास टाइम ही टाइम था

लेकिन मेरा सभी दोस्त अपने जॉब पर थे जो मुझे और परेशान करता था कि मैं ही खाली हूँ।

मुझे अचानक है दोस्त के मैडिटेशन की बात याद आई। मैन इंटरनेट पर सर्च किया तो मुझे विपासना की वेबसाइट मिल गए लेकिन , इगतपुरी जाने तक का पैसा मैं उस टाइम ख़र्च नही कर सकता था मैन भोपाल विपासना केंद्र को चुना।

रिजर्वेशन करवा कर भोपाल के लिए रवाना हो गया।

वेबसाइट schedule बुक कर के , जो के 13 डेज का time टेबल मिला सो मैं अपने सफर पर निकल पड़ा , हबीबगंज सेंटर से मुझे दिए हुए एड्रेस पर मुझे जा कर वहा से आगे सिर्फ मेडिटेशन वालो की बस चल पड़ी, मेरे आश्चर्य का ठिकाना भी नही रह के हर वर्ग, हर उम्र के लोग मेरी तरह ही विपासना के लिए जाना चाहते है जिसमे महिलाये भी शामिल थे इस बात ने मेरा इरादा और भी पक्का कर दिया था

यह बस ऐसा लग के किसी प्राकृतिक स्थान की ओर जा रही है पहुचने पर वह का दृश्य बहुत है सुंदर था ।

सबसे पहले तो लॉकेट और फिंगर रिंग, उतरवा दी गई
मोबाइल और ये कीमती सामान लाकर में रखवा दिया गया।

व कुश नियम समझाये गए के आपको मौन रहना है, किसी भी प्रकार के नशीला दावा या सिगरेट तम्बाकु का भी सेवन नही करना है जो अपने आप मे एक और पॉजिटिव कदम मुझे लगा कि कुश अच्छा है होने जा रहा है लेकिन मुझे अभी भी यह क्लियर नही था कि होने किया वाला है लेकिन मेरी जिंदगी की तकलीफे, मन का छिड़ चिड़ा जाना, मोनाबल का कमजोर होना ये समस्याओ को दूर करने के लिए यह कदम उठाया था।

फिर मुझे 1 रूम दिया गया जो बहुत है सुंदर था और मात्रा 1 पलंग व बाथरूम भी था। वहाँ की साफ सफाई देखने लायक थी,हमे बताया गया कि आपको 4 बजे उठना है और 4.30 पर पहली घंटी बजे गई मैडिटेशन शुरू होने की।व मौन रहना है।

क्युकी मैं बहुत थका था सो गया। लेकिन सुबह अनुशासन से उठा नाहा कर टाइम से 4.30 पर सब लोगो के पीछे चल दिया सब लोग एक गोलाकार हॉल पर अपनी अपनी गद्दी नुमा कुशन पर बैठ गये।

इसके बाद 2-3 घंटे तक हमको नासिका के नीचे श्वास पर ध्यान लगाने को कहा गया व पलटी मार कर बैठना था।
हर 2-3 घंटे में यही होता व हुम् ध्यान मुद्रा में रहते।

बीच बीच मे पानी इत्यादि के  छोटे ब्रेक भी होते थे।

भोजन बहुत ही साफ सुथरा था  व आखिरी बार शाम को खाना होता था रात को दूध बिस्कुट या हल्का नष्ट।

यह सभी कुश हमारे लिए फ्री में उपलब्ध था

वापस हमे अब विपासना meditatin पर आते है यह सिलसिला 3 दिन तक चलता रहा 1 मुद्रा में बैठना आसान नही था आप अपनी सुविधा अनुसार भी बैठ सकते है किंतु मैं निश्चय कर के है या था कि कुश अच्छा ज़रूर ले कर आऊंगा। यह मेरा निश्चय था।

4 दिन तो मेरी आँखों से आँसू निकले उसी जगह पर बैठे बैठे दर्द के मारे, एक जगह पर बैठना कोई आसान काम भी नही था मन यही कहता सब कुछ छोर के भाग जाउ किन्तु गोयनका जी की ऑडियो जो रोज़ प्ले होती थी वह यही बताता टी थी कि ऐसा होगा सो मैं ब डेटा राह के इस मन पर काबू तो करना ही है।

3दिन स्वास पर ध्यान के बाद में स्वास को पूरे शरीर पर लगाने को कहा गया किन्तु मेरे पैर के दर्द के आगे सारे दर्द जिंदगी के फीके पड़ गए थे उस दिन 1 क्षण यह लगा  पलती मारे हुए के प्राण तो इन पैरों से है निकल जायँगे।

लेकिन मैंने क्रिया या मैडिटेशन जारी रक्खी।जब के आँसू भी आ जाते थे।

उसी एक क्षण मेरा ध्यान उसी घुटने पर गया जो 1दर्द के मारे जस की किसी ने घुटनो में कांटा घुस दिया हो बेहद चरम पर दर्द हुआ , अचानक से वह स्थान मेरे लिए पानी पानी हो गया मुझे ज़रा भी दर्द होना बंद हो गया आखो के सामने सफेद दूध की तरह या बदल की तरह हर चीज़ दिखने लगी। मेरी आँखें अब भी बंद थी और मैं ये सब जो मेरे लिए चमत्कार से काम नही था अनुभव किया।
पल 30-40 सेकंड के लिए ही आया किन्तु मुझे वो अनुभव दे गया जिसका मैं आज भी इंतेज़ार कर रहा हु के मेरा जाना दोबारा कब होगा।

वहाँ से लौटा तो मेरी बॉडी पूरी हल्की हो गए थे, मैन शांत था निर्मल था।

आज 2019 हो गया है किंतु उस एक पल को याद कर के मुझे दोबारा विपासना मैडिटेशन करने की इक्षा है किंतु काम धंदे की वजह से ये संभव नही हो पाया।

दोस्तो आप भी अपने विपासना से जुड़े अनुभव शेयर कर सकते है शुक्रिया।





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