चिंता छोड़िये और अपनी ऊर्जा शक्ति को सही दिशा में इस्तेमाल करे

विचारों और प्रतिक्रियाओं को  हम व्यर्थ ही नष्ट कर देते हैं ऊर्जा इसे शक्ति में बदलने की कोशिश करें।

कोई भी इंसान बहुत एक अध्यात्मिक या किसी भी स्तर पर कितना आगे जा सकता है यह बुनियादी तौर से इस बात पर निर्भर करता है कि अपने भीतर मौजूद ऊर्जा की कितनी मात्रा use कर सकता है  यहां बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके पास काफी ऊर्जा है लेकिन उनके भीतर इतना विवेक या फिर सिस्टम नहीं है कौशल नहीं है जिससे वह शक्ति का सही इस्तेमाल कर सकें आपके अंदर शक्ति कितनी सक्रिय है इससे ना सिर्फ आपके जीवन की तीव्रता या गहराई तक होती है बल्कि आप जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कितने प्रभावशाली होंगे यह बताया होता है
br /> अगर हम चिंतन करते हैं तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए तो बुरा होता ही है साथ ही साथ इसे थकान होती है

जीवन में जहां भौतिक रूप से और पेशेवर तौर पर सफल होना जरूरी है आध्यात्मिक रूप से सफल होना ज्यादा जरूरी है मगर इसके लिए भी आपको कुछ खास तरह की निजी शक्ति चाहिए अगर वह शक्ति पाना है तो आपको अपनी उर्जा व समझदारी से इससे अति आवश्यक है समझदारी बुद्धिमानी व जरूरी साधना की मदद से उर्जा को जा सकता है और ना आपकी ऊर्जा अनंत सोच विचार होगा असंख्य प्रतिक्रियाओं व चिंताओं में बर्बाद हो सकते हैं आपने गौर किया होगा कि जब आप किसी दिन में ज्यादा चिंता से परेशान होते हैं उस दिन आपको ज्यादा थकान महसूस होती है

अपनी शक्ति न होने के कारण दूसरों पर रहेंगे  निर्भर

छोटी छोटी चीजों पर गौर करें जैसे 1 दिन में आप कितने शब्द बोलते हैं बातों को कहें लेकिन पिछले दिन की अपेक्षा लगभग आधे शब्दों का इस्तेमाल करके इसे कहने की कोशिश कीजिए कैसा करके आप लोगों से संवाद कम नहीं कर कर रहे शब्दों का इस्तेमाल आधा कर दिया है निश्चित तौर पर इससे भाषा में  आपकी कुशलता और भी बढ़ जाएगी और आप देखेंगे कि आपने अपने भीतर निजी शक्ति विकसित कर ली है अगर आपके भीतर आपकी कोई निजी शक्ति नहीं है तो आप दूसरों की राय के मुताबिक ही जिएंगे।

शक्ति को बढ़ाने की बजाय हम  सहारा को बढ़ाने में लगे हैं कि आप खुद तो आप छड़ी का सहारा लेते हैं इस लेकिन यह मत सोचें कि छड़ी ही आपकी ताकत है यह ताकत नहीं है असली ताकत है इस शक्ति को बढ़ाने के बजाय हम सब आप तभी मजबूत कहलाएंगे तुम से कम मदद के बिना खड़े हो सकें आप कम से कम मदद के बिना खड़े हो सके तो उसका मतलब होगा कि आप मजबूत है इसका मतलब हुआ कि आप कहीं भी  जा सकते हैं और कोई भी कार्य कर सकते हैं इसलिए आत्मनिर्भर बनना के समय में ज्यादा जरूरी है
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आत्मनिर्भरता के कदम छोटे-छोटे कदमों के द्वारा की जा सकती है मेरे कहने का तात्पर्य है कि छोटे-छोटे स्टेप्स लेकर हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकते हैं

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